Sunday, May 10, 2009

fana nizami kanpuri ki shayyiri

दिल से अगर कभी तेरा अरमान जायेगा
घर को लगा के आग ये मेहमान जायेगा
सब होंगे उससे अपना तारुफ़ कि फिकर में
मुझको मेरी सूरत से पहचान जायेगा
इस कुफ़र-ए-इश्क से मुझे क्यों रोकते हो तुम
ईमान वालो मेरा ही ईमान जायेगा
आज उससे मैंने शिकवा किया था शरारतन
किसको खबर थी इतना बुरा मान जायेगा
अब उस मुकाम पर हैं मेरी बेक़रारियाँ
समझाने वाला होके पशेमान जायेगा
दुनिया पे ऐसा वक़त पड़ेगा कि एक दिन
इंसान कि तलाश में इंसान जायेगा

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