दिल से अगर कभी तेरा अरमान जायेगा
घर को लगा के आग ये मेहमान जायेगा
सब होंगे उससे अपना तारुफ़ कि फिकर में
मुझको मेरी सूरत से पहचान जायेगा
इस कुफ़र-ए-इश्क से मुझे क्यों रोकते हो तुम
ईमान वालो मेरा ही ईमान जायेगा
आज उससे मैंने शिकवा किया था शरारतन
किसको खबर थी इतना बुरा मान जायेगा
अब उस मुकाम पर हैं मेरी बेक़रारियाँ
समझाने वाला होके पशेमान जायेगा
दुनिया पे ऐसा वक़त पड़ेगा कि एक दिन
इंसान कि तलाश में इंसान जायेगा
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