पहलू-ऐ-यार में एक पल जो बसर होता है
लोग कह्ते हैं दुआओं मैं असर होता है
अपनी ताब्यात में तोह हर आन खजान रहती है
उस्सकी आमद पे हरा अपना शजर होता है
ऐसे अफराद हकीक़त में कहाँ मिलते हैं
जिनकी पोशाक मैं सुरखाब का पर होता है
कैसी वेह्शत है मोहब्बत में के हर शाम के बाद
दिल सुलगता है कभी दीदा-ऐ-तर होता है
किया करिश्मा है नमाजी का ज़रा देखो तो
गुफ्तुगू रब से मग्गर खाक़ पे सर होता है
वो हैं बंजारा-सिफत, उंनका ठिकाना कैसा
जब ज़ुरूरत पढे हिजरत का सफर होता है
उस्सकी शादी ने किया हाल हमारा ऐसा
जैसा आकाश पे गह्नाके कमर होता है
मेरी नखवत ने किया उसको गुरेजां मुझसे
इसका एहसास मुझे शाम-ओ-सहर होता है
दादी अम्मा ने कई बार कहा था "बेटा !
"कोह-ऐ-कौकाफ से परियों का गुज़र होता है!"
ऐसे रहते हैं यहाँ अर्ज़-ऐ-फरुंग मैं 'फाजिल'
गाधियाँ बैंक की अवर क़र्ज़ पे घर होता है
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