Friday, May 29, 2009

firaq ki shayyiri

हिजाबों में भी तू नुमायाँ नुमायाँ
फरोजां फरोजां दरख्शां दरख्शां
तेरे जुल्फ--रुख का बदल ढूँढ़ता हूँ
शबिस्ताँ शबिस्ताँ चिरागां
चिरागां
खाद--खाल की तेरे परछाइयां हैं
खयाबान खयाबान गुलिश्तां गुलिश्तां
हनून--मुहब्बत उन् आंखों की वेह्श्त
बयाबां बयाबां गज़लां
गज़लां
लपट मुश्क--गेसू की तातार तातार
दमक लाल--लब की बदख्सां
बदख्सां
वही एक तबस्सुम चमन दर चमन है

वही पंखुडी है गुलिस्तां गुलिस्तां
सरासर है तस्वीर जमीतों की
मुहब्बत की दुनिया हरासां हरासां
यही जज्ब--पिन्हाँ की है दाद काफ़ी
चले आओ मुझ तक गुरेज़ाँ गुरेज़ाँ
'फिराक' खजीं से तोह वाकिफ थे तुम भी
वो कुछ खोया खोया परेशान परेशान

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