Saturday, May 9, 2009

shehzad ahmed ki shayyiri

हाल उसका तेरे चेहरे पे लिखा लगता है
वो जो चुप-चाप खडा है तेरा कया लगता है
यूँ तेरी याद में दिन रात मगन रहता हूँ
दिल धडकना तेरे क़दमों कि सदा लगता है
यूँ तो हर चीज़ सलामत है मेरी दूनिया में
एक ताल्लुक है के टूटा हुआ लगता है
ऐ ! मेरे जज्बा-ए-दुरून मुझ में कशिश है इतनी
जो खता होता है वो तीर भी आ लगता है
जाने मैं कौन सी पस्ती में गिरा हूँ "शेहजाद"
इस कदर दूर है सूरज की ... दीया लगता है

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