अगर हम वाकिया कम हौसला होते मुहब्बत में
मर्ज़ भरने से पहले दवा तब्दील कर लेते
तुम्हारे साथ चलने पर जो दिल राज़ी नहीं होता
बोहत पहले हम अपना फ़ैसला तब्दील कर लेते
तुम्हारी तरह जीने का हुनर आता तोह फिर शायद
मकान अपना वोही रखते पता तब्दील कर लेते
जुदाई भी न होती जिंदगी भी सहल हो जाती
जो एक दुसरे से मसला तब्दील कर लेते
बोहत धुंधला गया है यादों की रिमझिम में दिल सादा
वोह मिल जाता तोह हम भी आईना तब्दील कर लेते
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