ये शब्-ए-फिराक ये बेबसी है क़दम क़दम पे उदासियाँ
मेरा साथ कोई न दे सका मेरी हसरतें है धुवां धुवां
मैं तड़प तड़प के जीया तोह क्या मेरे ख्वाब मुझसे बिछड़ गए
मैं उदास घर की सदा सही मुझे दे न कोई तसलियाँ
चली ऐसी दर्द की आंधियां मेरे दिल की बस्ती उजाड़ गई
ये जो राख सी है बुझी बुझी है इस्सी में मेरी निशानियाँ
ये फिजा जो गर्द-ओ-गुबार है मेरी बेकसी का मजार है
मैं वो फूल हूँ जो न खिल सका, मेरी जिंदगी में वफ़ा कहाँ ....
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