Saturday, May 30, 2009

unknown

वोह आके ख्वाब में तस्कीन-ए-इजतिराब तोह दे
वोह मुझे तपिश-ए-दिल, मजाल-ए-ख्वाब तोह दे
करे है क़त्ल लगावत में तेरा रो देना
तेरी तरह कोई तेग-ए-निगाह को अब तोह दे
दिखा के जुम्बिश-ए-लब ही तमाम कर हमको
न दे जो बोसा, तोह मुँह से कहीं जवाब तोह दे
पिला दे ओ़क से साकी जो हमसे नफरत है
प्याला गर नहीं देता न दे, शराब तोह दे
खुशी से मेरे हाथ पाँव फूल गए
कहा जो उसने ज़रा मुझे बांहों में थम तोह ले

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