nikala mujhko zannat se
fareb-e-zindgi de kar..............
diya phir shaunq zannat ka ye hairani nahi jaati.......
Saturday, May 30, 2009
unknown
इश्क फ़ना का नाम है इश्क में ज़िन्दगी न देख जलवा-ए-अफताब बन ज़र्रे में रोशनी न देख शौक़ को रहनुमा बना जो हो चुका कभी न देख आग दबी हुई निकाल आग बुझी हुई न देख तुझको खुदा का वास्ता तू मेरी ज़िन्दगी न देख जिस की सहर भी शाम हो उसकी सियाह शावी न देख
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