आपसे जब तलक,आशनाई न थी
जिंदगानी मेरी, मुस्कुरायी न थी
प्यार में क्या ख़बर थी, यह दिल जाएगा
हमने किस्मत कभी आजमाई न थी
ख़ुद खुशी से ग़मों से, रही दोस्ती
इस में शामिल खुदा की, खुदाई न थी
बेरुखी का ही तेरी, यह है मोजीजा
आँख मेरी कभी, डबडबायी न थी
तू जो रुखसत हुआ, वोह अँधेरा हुआ
यूँ लगा याँ कभी, रौशनाई न थी
पेश्तर तुमसे मिलने से, हमने कभी
की ख्यालों से ज़ोर-आजमाई न थी
ख़ुद ही निकला मेरे, हाथों से दिल मेरा
हाथ की यह तेरे कुछ, सफाई न थी
उन्न्की फितरत भी देखी, बदलते हुए
जिंनकी हिम्मत कभी, डगमगाई न थी
क्यूँ रहा दम-बखुद, मिलके 'अशरफ' उससे
बात मेरी समझ में, यह आई न थी
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