Friday, June 5, 2009

jaun elia ki shayyiri

हालत-ए-हाल के सबब, हालत-ए-हाल ही गई
शौक़ में कुछ नहीं गया, शौक़ की जिंदगी गई
एक ही हादिसा तो है और वो ये के आज तक
बात नहीं कही गई, बात नहीं सुनी गई
बाद भी तेरे जान-ए-जाँ दिल में रहा अजब समान
याद रही तेरी यहाँ, फिर तेरी याद भी गई
उसके बदन को दी नमूद[apperance] हमने सुखन में और फिर
उससके बदन के वास्ते एक क़बा[gown] भी सी गई
उस्सकी उम्मीद-ए-नाज़ का हमसे ये मान था के आप
उमर गुजार दीजिये, उमर गुजार दी गई
उसके विसाल के लिए, अपने कमल के लिए
हालत-ए-दिल, के थी ख़राब, और खराब की गई
तेरा फिराक जान-ए-जाँ ऐश था क्या मेरे लिए
यानी तेरे फिराक में खूब शराब पी गई
उसकी गली से उठ के मैं आन पड़ा था अपने घर
एक गली की बात थी और गली गली गई

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