आस्ताने को देखते ही नही
वो दीवाने को देखते ही नही
लाख देखा करे ज़माना हमें
हम ज़माने को देखते ही नही
तीर किस तरह जा लगे दोल को
तुम निशाने को देखते ही नही !
उनको उन्वान से कहाँ फ़ुरसत !
वो फ़साने को देखते ही नही
इन दिनों है 'ख्याल' जाने कहाँ
अब दीवाने को देखते ही नही
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