आदत ही बना ली है, इस शहर के लोगों ने
अंदाज़ बदल लेना, आवाज़ बदल लेना
दुनिया की मुहब्बत में, तेवर बदल लेना
मौषम जो नया आए .... रफ़्तार बदल लेना
अज्ञात वोही रखना, एहबाब बदल लेना
अदात ही बना ली है, इस शहर के लोगों ने
रस्ते में अगर मिलना, नज़रों को झुका लेना
आवाज़ अगर दे दो, कतरा के निकल जाना
हर एक से जुदा रहना, हर एक से खफ़ा रहना
हर एक का गिला करना ....
जाते हुए रही को, मंजिल का पता दे कर
रस्ते में रुला देना ....
आदत ही बना ली है, इस शहर के लोगों ने .... !!!!!
No comments:
Post a Comment