Tuesday, June 2, 2009

unknown

रास्ते बदल जाते हैं, मंजिलें बदल जाती हैं
क्यूँ नहीं बदलते दिल जो तकदीरें बदल जाती हैं
दिल वोही रहता है, यादों की अनगिनत करचियाँ ले के
आंखों की नमी छुपा कर, नज़रें बदल जाती हैं
रूह रहती है हर लम्हा अश्कबार, लब हँसते हैं
बहार और अंदर की किस तरह फिजाएँ बदल जाती हैं
कोई होता है रफ्ता रफ्ता ज़िन्दगी से दूर, बोहोत दूर
हाथों की यह लकीरें क्यूँ अक्सर बदल जाती हैं !!

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