Friday, June 5, 2009

unknown

हिजाब को बेनकाब होना था
हाँ मुझी को ख़राब होना था
खेली बचपन में आँख मचोली बोहोत
आया शबाब तो हिसाब होना था
साथ रहते हैं रात दिन की तरह
तुम हो महताब[moon] मुझे अफताब[sun] होना था
मेरी आंखों का कुछ कुसूर नही
हुस्न को लाजवाब होना था
था मुक़द्दर में हमारा मिलना
मगर न हम ने कहाँ कामयाब होना था
हिजाब को बेनकाब होना था
हाँ मुझी को ख़राब होना था

No comments:

Post a Comment

wel come