Friday, June 5, 2009

unknown

लाखों थे ग़म-गुसार अभी कल की बात है
कितना था हम से प्यार अभी कल की बात है
ख्वाब-ओ-ख्याल में बे खिजां का न था गुमान
आई थी इक बहार अभी कल की बात है
इस बेकसी में कोई बे अब पूछता नहीं
कितने थे सोगवार अभी कल की बात है
मजबूर हूँ भुला नहीं सकता तुम्हारी याद
था दिल पे इख्तियार अभी कल की बात है
पुस्मुरदगी की का सेहन_ए_चमन में पड़ाव है
फूलों पे था निखार अभी कल की बात है
पोशाक_ए_फख्र में जो मलबूस अज्ज हैं
दामन में था तार तार अभी कल की बात है
मालिक से किस लिए है भला उनको दुश्मनी
करते थे जान'निसार अभी कल की बात है !!!!

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