उसने कहा सुन
अहेद निभाने की खातिर मत आना
अहद निभाने वाले अक्सर मजबूरी या
महाजूरी की थकन से लौटा करते हैं
तुम जाओ और दरिया दरिया प्यास बुझाओ
जिन आंखों में डूबो
जिस दिल में भी उतारो
मेरी तलब आवाज़ न देगी
लेकिन जब मेरी चाहत और मेरी ख्वाहिश की लौ
इतनी तेज़ और इतनी ऊंची हो जाए
जब दिल रो दे
तब लौट आना ....
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