Friday, June 5, 2009

unknown

तुम्हें याद कर ले तो सबर हार जाते है
हिजर के मुसाफिर अपना सफर हार जाते है
थोडी दूर तक तेरी तमन्ना ले के चलते है
उससे आगे फिर अपने मुक़द्दर हार जाते है
हाय वो हुस्न की चमक, और देख रही हु
इसी शौंक में दीवाने, नज़र हार जाते है
पहली मुलाक़ात में सच वो मेरे हो गए थे
लेकिन तेज़ दोड़ने वाले अक्सर हार जाते है
तमाम उम्र चाह कर भी आज तुम से दूर हु
रात सारी जाग कर हम, सहर हार जाते है
अचानक साथ छोड़ कर बे-बस कर गए ऐसे
उड़ान में जैसे परिंदे, पर हार जाते है
अपनी मोहब्बत में दिल को थोड़ा खुला रखना
तंग दरीचों वाले लोग, आख़िर हार जाते है

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