Thursday, June 4, 2009

unknown

हर चीज़ के तदारुक के लिए इदराक होना चाहिए
सच्चाई का हो जब माअमला, बेबाक होना चाहिए

एक कहानी ऐसी लिखो जो हर शख्स की अकास हो
और दिल में दर्द जगाने को, उससे दर्दनाक होना चाहिए

सोचो के क्यूँ मुसलमान, मुसलमान की जान लेता है
इस बात पे हर आँख को नमनाक होना चाहिए

गरीबों की मेहनत से ही मुल्क मालामाल होता है
कुछ उन् लोगों के हिस्से में भी, इम्लाक होना चाहिए

माजी तू अपना जैसा भी था, बीत गया अच्छा या बुरा
बच्चों का मुस्तक़बिल मगर ताबनाक होना चाहिए

अच्छा है उम्मीद भरे कुछ ख्वाब सजाएं आंखों में
पर हकीक़त को समझने में सब को, ताक होना चाहिए

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