Thursday, June 4, 2009

unknown

आसमां भी झुक गया ये किस कमी के वास्ते
मर रहे थे बार बार जिंदगी के वास्ते
छुपा रखा था जब सूरज ने चेहरा अपना
चाँद, तारे जल गए रौशनी के वास्ते
हर तरफ़ थी मायूसियाँ, रो रहा था ये नसीब
सह रहे थे हर सितम बेबसी के वास्ते
जिंदगी ही लूट गई तोह कौन पूछता है यहाँ
ढूंढते ही रह गई हर खुशी के रास्ते
दोस्त ऐसे भी थे हमसे लग कर वोह गले
मारते थे खंजर दिल पर दुश्मनी के वास्ते
आंखों का पानी भी अब तो दर्द से है सूख गया
नही रोते आज हम किसी की दोस्ती के वास्ते
हम ने वफ़ा की थी बोहत तो बेवफा ने हमसे कहा
बोहत मिलते है आज सनम आशकी के वास्ते
हम अंधेरों में भी रोये अगर जो इल्ल्ज़म सब लगते थे
आग लगा दी आज घर में रौशनी के वास्ते
आसमां भी झुक गया ये किस कमी के वास्ते
मर रहे थे बार बार जिंदगी के वास्ते

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