Tuesday, June 2, 2009

unknown

एक बेवफा को हम ने इस दिल में जगह दी थी
ख्वाबों की दुनिया अपनी उससे ही सजा दी थी
चाह था उसको हमने खुदसे भी बोहत बढ़ कर
उस चाहत में हमने ये हस्ती ही मिटा दी थी
मालूम नही था हमको वोह बेवफ्फा भी होगा
उस पर भरोसा करके खुदको ही सज़ा दी थी
सोचा था साथ मिल के काटेंगे जिंदगी
उस्सने तो एक पल में हर बात भुला दी थी
कैसा सितम है देखो वोह कब से जुदा है मुझसे
अपनी जिंदगी जिसका साया सा बना दी थी
किया था उस पर भरोसा क्यूँ हद से बढ़ कर
उसकी जफा ने दिल में एक हलचल सी मचा दी थी

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