Tuesday, June 2, 2009

unknown

कहीं आह बन के लब पे तेरा नाम आ न जाए
तुझे बेवफा कहूँ मैं वो मकाम आ न जाए
ज़रा जुल्फ को संभालूं मेरा दिल धड़क रहा है
कोई और तीर-ए-दिल तह-ए-दाम आ न जाए
जिसे सुन के टूट जाए मेरा आरजू भरा दिल
तेरी अंजुमन से मुझको वो पयाम आ न जाए
वो के मंजिलों पे ला कर किसी हमसफ़र को लूटें
इन्ही रहज़नों मैं तेरा कहीं नाम आ न जाए
ये मह-ओ-नजूम हँस लें मेरे आंसुओं पे
मेरा महताब जब तक लब-ऐ-बाम आ न जाए !!!!

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