Saturday, May 30, 2009

farhat abbas shah ki shayyiri

इकरार गए, इनकार गए, हम हार गए
आंखों से सब असार गए, हम हार गए
कुछ यादें उस्सकी बीच समंदर डूब गई
कुछ सपने रह उस पार गए, हम हार गए
जब तन्हा अपनी जात से जंग पे निकल तोह
भगवान गए, उतार गए, हम हार गए
यूँ उलझे दुनिया के दुःख में बेसुध हो कर
सब झूठे सचे प्यार गए, हम हार गए
पहले तोह प्रीत में अपने आप से दूर हुए
फिर यार गए दिलदार गए, हम हार गए
इक उमर रहे जीत से बे-परवा लेकिन
जब जीतना चाह , हार गए ,,हम हार गए

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