भीड़ में रिश्तों की इस दिल को अकेला देखा
जिंदगी ऐसा भी हमने तेरा चेहरा देखा
अब तोह बाँध होने की आँखों को इजाज़त दे दे
बरसों आँखों ने तेरा जाग के रास्ता देखा
गरीबी तुझे कैसे मैं न कातील समझूँ
मैंने ही करते तुझे खून-ऐ-तमन्ना देखा
उमर भर साथ चले फिर भी रहे तुम तन्हा
हमने कुर्बत में भी एक फासला ऐसा देखा
उसने बाहों में समां रखे थे दरिया लेकिन
हमने साहिल को देखा तोह वोह भी प्यासा देखा !!!!
No comments:
Post a Comment