Thursday, June 4, 2009

unknown

जिंदगी है एक सी पर जीने के अंदाज़ जुदा हैं
जाम-ए-मुहब्बत एक है पर पीने के अंदाज़ जुदा हैं

हर एक के लिए जज्बों का इकरार है, इज़हार है
इज़हार का है मकसद एक, इज़हार के अल्फाज़ जुदा हैं

एक से चेहरे, एक सी बातें, सोच भी सब की एक सी
ज़ाहिर बजाहिर एक है, बातों में छुपे वोह राज़ जुदा हैं

तकलीफ की शिद्दत एक सी, दर्द का है एहसास एक
जिस्म हैं सब के एक से, इस में बसे अमराज़ जुदा हैं

इल्म के खजाने से सब फैज़याब होते हैं
इल्म के ज़राए एक, फिर क्यूँ इस के अगराज़ जुदा हैं

अल्लाह एक, कुरान एक, दीन एक, इमाँ एक
अंजाम सब का एक है, बस सब के आगाज़ जुदा हैं

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