Thursday, June 4, 2009

firaq gorkhpuri ki shayyiri

हिजाबों में भी तू नुमायाँ नुमायाँ
फरोजां फरोजां दरख्शां दरख्शां
तेरे जुल्फ-ओ-रुख का बदल ढूंढता हूँ
शबिस्तान शबिस्तान चिरागां चिरागां
ख़त-ओ-खाल की तेरे परछाईयाँ हैं
खायाबान खायाबान गुलिस्तान गुलिस्तान
जूनून-ए-मुहब्बत उन् आँखों की वहशत
बयबां
बयबां गजालां गजालां
लपट मुश्क-ए-गेसू की तातार तातार
दमक ला'ल-ए-लब की बदकशाँ
बदकशाँ
वही एक तबस्सुम चमन दर चमन है
सरासर है तस्वीर जमीतों की
मुहब्बत की दुनिया हरासाँ हरासाँ
यही जज्ब-ए-पिन्हाँ की है दाद काफ़ी
चले आओ मुझ तक गुरेज़ाँ गुरेज़ाँ
'फिराक' खाजीन से तो वाकिफ थे तुम भी
वो खुछ खोया खोया परेशां परेशां

No comments:

Post a Comment

wel come