Thursday, June 4, 2009

harivansh rai bachchan ki shayyiri

लहरों से डरकर नौका पर नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

नन्ही चींटी जब दाना लेकर चलती है
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है
मन का विशवास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना ना अखरता है
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

डुबकियां सिंधू में गोताखोर लगता है
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है
मिलते नही सहज ही मोती गहरे पानी में
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में
मुठी उसकी खाली हर बार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नही होती

असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम
संघर्ष का मैदान छोड़कर मत भागो तुम
कुछ किए बिना ही जै जैकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

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