Tuesday, June 2, 2009

nasir kazmi ki shayyiri

दिल धड़कने का सबब याद आया
वो तेरी याद थी, अब याद आया
आज मुश्किल था संभल न.. ऐ दोस्त
तू मुसीबत में अजब याद आया
हाल-ए-दिल हम भी सुनते लेकिन
जब वो रुखसत हुए, तब याद आया
दिन गुज़ारा था बड़ी मुश्किल से
फिर तेरा वादा-ए-शब् याद आया
फिर कई लोग नज़र से गुज़रे
फिर कोई शेहर-ए-तरब याद आया
बैठ कर साया-ए-गुल में 'नासिर'
हम बहुत रोये, वो जब याद आया

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