Friday, June 5, 2009

shehzad ahmed ki shayyiri

जल भी चुके परवाने हो भी चुकी रुसवाई
अब खाक़ उडाने को बैठे हैं तमाशाई
तारों की जिया[lite] दिल में एक आग लगाती है
आराम से रातों को सोते नहीं सौदाई
रातों की उदासी में खामोश है दिल मेरा
बेहिस[careless] हैं तमानाएँ नींद आई के मौत आई
अब दिल को किसी करवट आराम नहीं मिलता
एक उमर का रोना है, दो दिन की शनासाई[knowledge]
एक शाम वो आए थे एक रात फरोजां[lit-up] थी
वो शाम नहीं लौटी वो रात नहीं आई

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