Saturday, June 6, 2009

unknown

रौशन जमाल-ए-हुस्न से है अंजुमन तमाम
दहका हुआ है आतिश-ए-गुल से चमन तमान
हैरत गुरूर-ए-हुस्न से शोखी से इज़्तराब
दिल ने भी तेरे सीख लिए हैं चलन तमाम
अल्लाह रे हुस्न-ए-यार की खूबी के ख़ुद-बा-ख़ुद
रंगीनियों में डूब गया पैराहन तमाम
देखो तो हुस्न-ए-यार की जादू निगाहियाँ
बेहोश इक नज़र में हुई अंजुमन तमाम

No comments:

Post a Comment

wel come